ताजा प्रविष्ठियां

Saturday, February 14, 2015

आखिर वो मानसिकता कौन सी है ? जो 1857 के देश भक्त सैनकों के विद्रोह को प्रथम स्वाधीनता संग्राम नहीं मानते थे ! ठीक वैसा ही घटना क्रम अब भी चल रहा है; उसी साजिश के तहत ! भ्रष्टाचार के विरुद्ध पहला आंदोलन 27 फरवरी 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में ही हुआ था लेकिन उसे भुलाया जा रहा है।

क्या हम जानते हैं वो मानसिकता कौनसी है ? 
जबकि उससे भी पहले मुगलों अंग्रेजों पुर्तगालियों के विरुद्ध आंदोलन (युद्ध) हुये थे !
इनमे देशभक्त हिन्दू मुसलमान सभी शामिल रहते थे लेकिन उनका कहीं नामोनिशान नहीं !
ऐसे देशभक्तों को देश की जनता से छुपाने वाली 
वो मानसिकता कौन सी है क्या हम जानते हैं ?
1857 के बाद भी न जाने कितने क्रन्तिकारी देशभक्तों को अंग्रेजों ने तोपों गोलियों से उडाया होगा !
1885 में कांग्रेस गठन के बाद भी कांग्रेस के ही कई देशभक्त कार्यकर्त्ता और नेता (लाला लाजपतराय जैसे)शहीद हुए होंगे 
कांग्रेस के आलावा तो हजारों देशभक्त क्रांतिकारी शहीद हुए ! उनका नाम लेने में भी संकोच करने वाली 
वो मानसिकता कौन सी है ये भी नहीं जानते होंगे ! 
वो मानसिकता ! वो शक्ति ! कौन सी है ? 
जिसने मैकॉले को यहाँ की शिक्षा व्यवस्था बदलने को बोला !
जिसने मैक्समुलर को वेदों का अंग्रेजी अनुवाद अपने मन मुताबिक ऊटपटांग तरीके से करने को बोला !
जिसने भारत को गड़रियों सांप सपेरों जादू टोने और जादूगरों का देश बताया !    
इस मानसिकता या शक्ति ने दुनिया के सबसे कमजोर व्यक्ति को अपने स्वार्थ के लिए देश के साथ साथ दुनिया में भी अहिंसा का मसीहा बना दिया और उसकी आड़ में एक ऐसे व्यक्ति को इस देश का प्रथम प्रधान मंत्री बना दिया जिसे देश नहीं चाहता था । 

ठीक वैसा ही घटना क्रम अब भी चल रहा है; उसी साजिश के तहत ! 
ये मैं, कम से कम मैं तो जनता हूँ कि ये वही शक्ति वही मानसिकता है ! जो इस देश में "सांस्कृतिक राष्ट्रवाद" का उदय नहीं होने देना चाहती। 






एक एक कर तथ्य दे रहा हूँ !
भ्रष्टाचार के विरुद्ध पहला आंदोलन 27 फरवरी 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में ही हुआ था लेकिन उसे भुलाया जा रहा है। 
उससे पहले पूरे देश में 650 जिलों के तहसील और हर गांव में भ्रष्टाचार के विरुद्ध हस्ताक्षर अभियान चला था उससे प्राप्त करोड़ों पपत्र राष्ट्रपति को सौपने के लिए रामलीला मैदान पहुंचाए गए थे  ! इसमें भी देश की बड़ी बड़ी हस्तियां शामिल हुईं थी , रामजेठमलानी ने तो सोनिया पर सीधे आरोप लग दिए थे। https://www.youtube.com/watch?v=wjWaZHMyngc 27-2-2011 ramlila maidan
सुबूत भी दे रहा हूँ। 
ये आंदोलन इतना व्यापक था कि देश के सभी जिला व तहसील मुख्यालयों पर आयोजित हुआ था। हमने भी अपने यहाँ किया था। 
इसी आंदोलन के दूसरे चरण में 23 मार्च 11 को शहीद दिवस के दिन फिर से सभी जिला मुख्यालयों पर ऐसा ही विरोध प्रदर्शन हुआ था; उसे भी भुलाया जा रहा है।  

 भ्रष्टाचार के विरुद्ध पहला आंदोलन स्वामी रामदेव जी का था न कि अन्ना का ! साजिश के तहत उसे भुलाया जा रहा है !
प. पू. स्वामी रामदेव जी महाराज को मैं पिछले दस साल से फॉलो कर रहा हूँ और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जितना मुखर मैंने स्वामी रामदेव जी को देखा है 2004 से ही; उतना इस देश में कोई नहीं देखा। 
हाँ एक पार्टी पर टारगेट भारत स्वाभिमान संगठन बनने (जनवरी 2009) के बाद हुआ जब उस पार्टी ने स्वामी जी के कामों में अड़ंगा लगाना शुरू  किया।