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Saturday, August 31, 2013

नाश पिट्टे इस ऐतिहासिक पार्टी को इतिहास की पार्टी बना के ही छोड़ेंगे ! ए ओ ह्युम की आत्मा भूत बनके चिपटेगी |

कांग्रेस इतिहास बनने जा रही है ! अगर आप को अकल जाए तो !!!

और अगर आप को भी अकल न आई तो आप के साथ साथ देश भी भुगतेगा; भुगत रहा है । 

कांग्रेस एक ऐतिहासिक पार्टी है ! कितनी मेहनत और साजिश से तत्कालीन नेताओं और जनता की आँखों और बुद्धि पर पर्दा डाल कर इसे ब्रिटिश अधिकारी ए ओ ह्युम ने बनाया था ! ये आज के टटपूंजिए नेता क्या जानें ।   कितनी कुर्बानियां इसे बनाने को, और कितनी इसे बनाये रखने को, लेनी पड़ी ये कल के छोकरे(युवा बने फिरते हैं ) क्या जानें ! जब जब इसपर संकट आया, कैसे कैसे हथकंडे अपनाने पड़े; वो भी अपने वोटरों(समर्थक और विरोधी दोनों ही) से छुप छुपा कर, इन्हें क्या पता ! इन्हें तो बस पकी पकाई मिल गयी, उसी के बल पर आज तक खा रहे हैं; अब वो भी नहीं पच रहा, उलटे सीधे बिल लाकर अपनी पोल खोल रहे हैं ।
अब भला बताओ जिस "कांग्रेस" को बनाने में ए ओ ह्युम द्वारा "राजा राम मोहन राय" के "ब्रह्म समाज"की पूरी क़ुरबानी ली गयी, और उन्हें खुद को तो बिलकुल गुमनाम ही कर दिया (ताकि कांग्रेस जैसा कोई अन्य संगठन न हो, चाहे सामाजिक ही क्यों न हो) पर लोगों को कुछ भी अंदेशा नहीं हुआ वही कांग्रेस आज "आप" को खड़ा कर के अपने को बचाने की "छोटी सी बात" को भी छुपा नहीं पायी।  
और इनके बाप ए ओ ह्युम ने इस कांग्रेस के उद्देश्यों का तक पता नहीं चलने दिया इसके जन्म पर । इसके निर्माताओं नेताओं ने सन 47 में जो समझौते किये अंग्रेजों से; कितने लोगों को पता लगे ? बहुत कम गिने चुने लोगों को पता लगा कि अंग्रेजो से "ट्रांसफर ऑफ पॉवर एग्रीमेंट" नामक समझौता हुआ था । और आज ये छोटा सा ऍफ़ डी आई वाला मुद्दा भी नहीं संभाल पाए । लोगों को पता लग गया कि रूपये को उसी ऍफ़ डी आई के लिए गिराया गया है ।
इसके 127 साल के इतिहास में इसको बनाये रखने के लिए क्या क्या नहीं करना पड़ा ! कितने अपने ही नेता; लाला लाजपत राय से लेकर ………तक, मरवाने पड़े |  कितने देशभक्त क्रान्तिकारी मरवाने पड़े, या उन्हें देश विरोधी, आतंकवादी-उग्रवादी कहना पड़ा । गद्दारों को देश भक्त और देशभक्तों को गद्दार सिद्ध करना पड़ा । स्कूलों तक में ऐसी शिक्षा लागु की; कि आज भी "सेकुलर नस्ल" उनके गुण गाते नहीं थकती । 
जानते सब हैं ! पर इनके बारे में कोई भी आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कह सकता; ये इनकी काबिलियत का प्रमाण नहीं है क्या ?
आज तुम दो चार सौ लाख करोड़ के घोटाले नहीं छुपा पा रहे ! धिक्कार है तुम्हें ! अरे ! अपने पितृ पुरुष (चाचा) को तो याद कर लेते (उन्हें तो बच्चों के याद करने को छोड़ा है), जिन्होंने नेताजी बोस के साथ साथ सन 47 में उनका पूरा खजाना और रजवाड़ों से आया खजाना भी ऐसे गायब कर दिया कि उसकी भनक भी अब 67 सालों बाद सुनाई दे रही है । 
कितनी काबिलियत रही होगी तुम्हारे पित्तरों में ! जरा सोचो ! देश के दो टुकड़े करवा दिए पर अपना स्वार्थ नहीं छोड़ा ! विश्व में महान बनने के लिए कितने क्षमा शील रहे ; दुश्मन के क्षेत्र पर कब्ज़ा करके भी उसे वापस दे दिया, उसका कर्जा खुद भरने को तैयार रहे, दुश्मन की 90 हजार फ़ौज को घुटने पर बैठने को मजबूर कर दिया हमारी फौजों ने, फिर भी तुम्हारे नेता ने वो देश स्वतंत्र कर दिया । वाह रे दरियादिली ! अब ये अलग बात है; आज वो हमें बार बार लतियाता है । 
कहने का मतलब ये है ! अपने महान अय्याश नेताओं का कुछ तो अनुसरण करते । तुम तो अपने अपने रिश्तेदारों की कारगुजारियों को भी नहीं छुपा पा रहे ! जबकि अपने पितृ पुरुषों के रिश्तेदारों को देखो कितनी काबिलियत से उन्हें अय्याशी करवाई और फिर नेता बना कर देश में महान भी सिद्ध किया और कई तो आज तक राज्यों के मुख्य मंत्री-मंत्री भी बने हुए हैं ।  तुम एक दामाद के कारनामे नहीं छुपा पाए ! बड़ा आश्चर्य है । 

अपनी कमियों को पहचानो ! सारे के सारे तलुवे चाटू रखे हुए हैं; जो आँख बंद कर बस अंध भक्ति में ही लगे रहते हैं । कुछ तो दिमाग वाले चमचे होने चाहिए ! तुम्हारे नेताओं ने भी पाले हैं चमचे, पर पूरे खानदानी थे आज तक भी बुद्दिजीवियों में माने जाते हैं ।  दिमाग से अपने पुराने नेताओं की चोरियों अय्याशियों को सही सिद्ध करते रहते हैं । कोई गांधीवाद के गुण गान करता है कोई नेहरूवाद के; लेकिन पूरे दिमाग से । 
और तुमने पाले हुए हैं दिग्गी,पिग्गी,सिंघी,कप्पी जैसे जो आँख बंद कर ऐसी बातें बोल जाते हैं कि सारी पोल खोल जाते हैं । यही हाल युवाओं का है न जाने कौन से देश में पढने भेजा था इन्हें जहाँ ये ये भी नहीं सीख पाए कि कैसे सफाई से अपने नेताओं की चमचा गिरी की जाती है । 
अब तो भगवान (इनकी महारानी ! अरे भई इंग्लैण्ड वाली) ही बचाए ऐसे चाटुकारों से । रोम वाली महारनी तो फेल हो गयी ।       

1 comment:

  1. विदेशी थे ह्यूम साहब, तो ध्यान किसका रखते..

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