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Saturday, July 30, 2011

सत्यानाश हो इस .......... सरकार का ;एक वृद्धा का विचार

सत्यानाश हो इस .......... सरकार का | इसका क्या बिगड़ रहा था ? एक वृद्धा का विचार था; दुकान पर बाबाजी का बैनर लगा देखा तो वह समझ गयी कि ये भी स्वामीजी का भक्त है | बोली बेटा क्या हो रहा है अब ? मैं बोला : आमा (दादी या नानी) ! होना क्या है बंदरों के हाथ में उस्तरा है उल्टा-सीधा चला कर देश धर्म संस्कृति का तो नुकसान कर ही रहे हैं; बाबाजी के भी पीछे पड़ गए हैं | आमा शायद कुछ पढ़ी-लिखी भी थी और टीवी देखती होगी बोली; इन टीवी वालों(न्यूज चैनलों) का भी मर जाये ! खबर इस तरह से देते हैं जैसे रामदेव जी ने कोई अपराध कर दिया हो , अरे ! जो चोर है उनको तुम कुछ नहीं कह रहे; जो बाबा जी अच्छा कर रहे हैं सब उनके पीछे पड़े हो; कीड़े पड़ेंगे कीड़े इन सबको | मैंने समझाया आमा सरकारी नेता-मंत्री और अधिकारी झूठे और बेबात के मामलों को मीडिया के द्वारा उड़ा रहे हैं | हाई कोर्ट इन्हें लताड़ लगा रहा है सुप्रीम कोर्ट भी इनको डांट चुका है | कई सारे मंत्री इनके जेल में बंद हैं प्रधान मंत्री को भी चोर बता रहे हैं फिर भी बेशर्म होकर और चिढ कर बाबाजी को परेशान करने की सोच रहे हैं | लेकिन बाबा जी ने भी कह रखा है कि इस बार मैं इन सब भ्रष्टों का काल बन कर आया हूँ | सच की हमेशा जीत होती है देवासुर संग्राम में हमेशा देवता ही जीतते हैं;असुर चाहे कितनी ही उछल कूद मचा लें | होगा बेटा होगा चोरों का मुहं काला होगा | इनके कर्मों को जब लोग देख समझ लेंगे तो इन पर .....|

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