‘आह.हा… हा…. हा… ऐ मेरे राक्षस वीरो ! जाओ;भारत वर्ष के सुन्दर वन में ऋषि-मुनि कुछ तपस्वियों को साथ लेकर यज्ञ कर रहे हैं,कि ; इस संसार से हमारा प्रभाव “राक्षसत्व” समाप्त हो। तुम सब जाकर उसे खंडित करो। वहां स्थान-स्थान पर तुम्हें हमारे गुप्तचर, रक्ष संस्कृति के समर्थक, सहायता करने को तत्पर मिलेंगे। उन ऋषि मुनियों का यज्ञ केवल भंग ही नहीं करना अपितु उनका सबकुछ तहस-नहस करना जिससे वह फिर कभी साहस न कर पायें; हमारी इस रक्ष संस्कृति के विरुद्ध कुछ भी करने का’।
दशानन कह रहा था अपने गणों से।
हमारे उत्तराखंड की संस्कृति में रामलीला नाटक का मंचन कुछ इस तरह रचा – बसा है कि; महानगरों में बस गए उत्तराखंड प्रवासी जहाँ-जहाँ भी कालोनियों में बसे वहां रामलीला जरुर करते हैं। पहाड़ों में तो गाँव-गाँव में रामलीला का मंचन होता है। यहाँ तक कि बच्चे भी अपने तरीके से रामलीला करते हैं। हालाँकि; अब ज़माने के साथ इसमें कुछ कमी जरुर आ गयी है।
एक बात और;हमारे यहाँ की रामलीला का सबसे शुरुआती एक दृश्य उपरोक्त राक्षस लीला का है। जब रावण अपने गणों को ऋषि-मुनियों का यज्ञ भंग करने भेजता है। और उसके गण उन ऋषि-मुनियों का रक्त एक घड़े में लेकर रावण के पास जाते हैं । रावण बहुत खुश होता है। ऋषि-मुनि रावण के गणों को कहते हैं कि इस रक्त में रावण का काल है, मतलब श्राप देते हैं कि उसका वंश अतिशीघ्र नाश होगा।
उधर ऋषि-मुनियों के लिए आकाशवाणी होती है; कि अब आप लोग विलाप मत करो, मैं इस पृथ्वी पर अवतरित होने वाला हूँ तुम समाज में फ़ैल कर लोगों का भय दूर करो और उन्हें संगठित करो।
कुछ यही दिल्ली के रामलीला मैदान में हुआ। देश के एक सौ इक्कीस करोड़ लोग बड़े आशान्वित थे; कि चलो केंद्र की कांग्रेस सरकार का सकारात्मक रुख, इस ख़त्म होते भारत की दशा को सुधारने का श्रेय अपने सर लेने के लिए ही क्या पता बाबा जी को उनकी कुछ बातों को मान कर मना ले। क्योंकि बाबा जी ने पिछले पांच वर्षों में जितना देश को झकझोरा था, मंथन किया था, उसका आंकलन तो सभी राजनैतिक पार्टियों ने किया ही होगा। {पूरा देश अब समझ चुका है कि भ्रष्टाचार कि जड़ कहाँ है}
लेकिन; ऐसा नहीं हुआ ! कांग्रेस उन राक्षसों की वंशज बन गयी जिन्हें भगवान राम ने त्रेता युग में ही इस धरा से निर्मूल कर दिया था। ऐसा लग रहा है जैसे रावण के वंशज कलियुग में बदला लेने को फिर पैदा हो गए हों। आधी रात में शांत सोये लोगों पर जो कार्य कांग्रेस के नेताओं की अनुमति से हुआ उसे इतिहास कलंक के रूप में याद रखेगा।
और याद रखेगा उसे सही ठहराने वालों को भी, और जननायक स्वामी रामदेव जी को अनाप-शनाप शब्द बोलने वालों को भी, ये लोग खिसियाये हुए हैं कि बाबाजी ने इनकी पूरी साजिश फेल कर दी। ये सोचे बैठे थे; कि किसी तरह बाबाजी ठिकाने लग जाएँ हमेशा का टंटा कट जायेगा। देश में जो उबाल आएगा वो इनके लिए कोई मायने नहीं रखते। अपना राज कायम रखने के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। पर ऐसा हो नहीं पाया; बाबाजी ने तो इनकी योजना फेल करी ही करी भक्तों ने भी मन्त्र जाप करते हुए पिट कर अपने संयम की मिशाल पेश की। अगर भक्त लोग भड़कते तो न जाने बेचारे कितने स्वयं मारे जाते क्योंकि पुलिस वाले तो गोली बारूद से लेस थे ।
मेरा मन बड़ा विचलित है आज 14 जून को दुकान खोल रहा हूँ। नौ जून शाम को हमने अनशन तोड़ा। चिकित्सक की सलाह पर प्रशासन के लोग पुलिस के साथ हमें उठाने आगये थे। संख्या कम होने के कारण कोई विरोध नहीं हो पाया, अस्पताल में दो बोतल पानी चढ़ाया और डिस्चार्ज हो गए; फिर जूस पीया । हम अल्मोड़ा जिले के मुख्यालय पर अनशन पर बैठे थे । रात साढ़े बारह बजे साथी ने उठाया कि दिल्ली में घपला हो रहा है। उसके आधा-एक घंटे बाद तो जो बिलकुल उम्मीद नहीं थी वह होने लगा मन करने लगा अभी उड़ कर दिल्ली पहुँच जाऊं क्योंकि हमने अपने वहां से भी पन्द्रह बीस लोग वहां भेजे थे किसी का भी फोन नहीं मिल रहा था।
खैर.... अब तो बाबा जी को सभी देश भक्तों की ओर से ये आश्वासन मिलना चाहिए कि;
लाख साजिशें कर लें;ये नेता ये सरकार,
देश के सामने बेनकाब हो गए गद्दार ।
इनकी रगों में बहता;मिलावटी रक्त ,
अपने खानदानी गुण को; कर रहा व्यक्त॥
बाबाजी ! हम सब;आपके साथ थे; हैं और रहेंगे,
इन गद्दारों को जूता दिखा कर; ये कहेंगे ।
लाख कोशिशें कर लो तुम; देश को बरगलाने की,
सफल न होगी कोशिश तुम्हारी सूरज को झुठलाने की,
जाग गया है देशभक्त अब; और उसके संस्कार भी ।
ऐ रावण के वंशजो ! पीछे न हटना तुम भी,
कथा पढ़ लेना रावण के वंश की ,
होना है तुम्हारा बीज नास भी ॥
आदरणीय शंकर फुलारा जी...आपने आज की घटनाओं को रामयुग से जोड़ा है...यह बेहद सटीक लगा की जैसे राक्षस ऋषि मुनियों की तपस्या भंग करते थे वैसे ही कांग्रेस ने दिल्ली में बाबा रामदेव के आन्दोलन को भंग किया...
ReplyDeleteधन्य हैं आप जो इतने लम्बे समय से अनशन पर बैठे थे...
मैं भी उस समय रामलीला मैदान में उपस्थित था...मैं भी अनशन पर था...पुलिस की लाठियां मैंने भी अपने शरीर पर खाई हैं...देखें लिंक...
http://www.diwasgaur.com/2011/06/blog-post_07.html
धन्य है आप
ReplyDelete