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Tuesday, May 18, 2010

जाति बदलने का सुनहरा अवसर

जिन लोगों को अपनी जाति से संतुष्टि नहीं है, 'क्योंकि जिन्हें छोटी जाति कहा जाता है वह बड़ी जाति में आना चाहते हैं; और जो बड़ी जाति के कहे जाते हैं वह आरक्षण के लाभ के लिए छोटी जाति की आकांक्षा रखते हैं' तो ; ऐसे लोगों के लिए यह सुनहरा अवसर है। वह अपनी जाति बदल सकते हैं


सरकार को भी अपने कानून में इस तरह की व्यवस्था करनी चाहिए जो अपनी जाति बदल कर समाज में बराबरी लाना चाहते हैं; (हालाँकि एक ही जाति के अन्दर जो उंच-नीच है वह समाप्त तब भी नहीं होनी) उन्हें कुछ लाभ मिलना चाहिए। जाति गणना का वास्तविक लाभ भी तभी है। जब इससे समाज में समानता आये

(तथाकथित)छोटी जाति के लोगों को तो इसमें अवश्य ही अपनी जाति को तथाकथित बड़ी जाति में बदल लेना चाहिए धर्म परिवर्तन से भी बचा जा सकता हैकुछ धर्म बदलवाने वालों का धंधा बंद हो जायेगा

"जब स्वार्थ का पर्दा आँखों पर पड़ जाता है अपने लाभ के सिवाय कुछ नजर नहीं आता है॥"

जिन्होंने कभी जाति सूचक शब्द बोलने से मना किया था; कि इससे समाज में भेद-भाव बढ़ता है, इसलिए न बोले जाएँ। इसके लिए गाँधी जी की आलोचना भी करी; कि उन्होंने “हरिजन”संज्ञा देकर जातियों का अपमान करा। पर स्वयं "इन लोगों" ने अपने आप “दलित” शब्द दे दिया। क्योंकि इनका अपना स्वार्थ था ।

आज आम जनता जातिवाद को सामान्य व्यवहार में भूलने लगी थी; जिससे मायावती ने कुछ लाभ भी उठाया पर क्योंकि लालच बढ़ता ही जाता है। भविष्य के प्रति चिंता भी इसमें सहयोग करती है , इसीलिए ये लोग जातिवाद पर आधारित राजनीति में ही अपनी लम्बे समय तक की राजनीति की संभावना देख रहे हैं, यही पर्दा इनकी आँखों में पड़ गया है।

जो कुछ समय पहले इन्होंने थूका था, वह; अब यह चाटेंगे। समाज पर जिस कानून को इन्होंने थोपा था कि जाति सूचक शब्द, किसी को; 'कहने पर दंड मिलेगा', अब उस कानून का क्या होगा ?

3 comments:

  1. वाह गुरुजी, क्या दिमाग चलाया धांसू आइडिया है बाय गोड !

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  2. "कोरे जातिवादियो को बढ़िया वाली जूती" मै तो यही कहूँगा जी....

    कुंवर जी,

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  3. सही कहा , अच्छा सन्देश

    http://madhavrai.blogspot.com/

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