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Tuesday, May 11, 2010

कसाब को फांसी पर, "इस तरह की ख़ुशी" क्यों ? जैसे .....

कसाब को फांसी पर इतनी ख़ुशी दिखाई जा रही है जैसे यह कोई अनहोनी हो रही हो; या जैसे देश को उसके द्वारा किये अपराध की सजा पर संदेह हो कि फांसी नहीं भी हो सकती, इसका (इस तरह की ख़ुशी का) क्या अर्थ है ?
उसने जो किया उसकी सजा तो यही है, इस पर इतनी ख़ुशी और हल्ला-गुल्ला क्यों ? कि ऐसा लगने लगे, "कि क्या उसके बचने की उम्मीद थी" ? 'जो हम इस तरह से खुश हो रहे हैं' सब जगह उसकी फांसी की सजा की चर्चा। इन बड़े-बड़े "बुद्धुमानों"(अब शक होने लगा है कि ये बुद्धिमान हैं) को ये बताना चाहिए; कि अगर कसाब के बचने की (इन्हें) उम्मीद थी, 'तो क्या वो उम्मीद (इस फांसी की सजा से) अब नहीं है' "जो ये इतना खुश हो गए"। या ; क्या कसाब को तुरंत फांसी दी जाने वाली है "जो ये इस तरह से खुश हो रहे हैं"
वास्तव में ! ये ख़ुशी ऐसी लग रही है, जैसे; हमें कसाब जैसे आतंकवादी को अपने कानून और न्याय व्यवस्था द्वारा फांसी की सजा देने में कोई शक हो,फिर भी उसे फांसी की सजा मिल गयीतो हम खुश हो गए अगर ऐसा ही है तो अभी वह कारण प्रयाप्त हैं ; "जिनसे हमें यह शक था" क्योंकि अभी कसाब के पास अपने बचाव को और भी विकल्प भी हैं। ऐसी ख़ुशी हमें तभी होगी और होनी चाहिए; जब पता लगे कि कसाब की फांसी का दिन, ‘जो ज्यादा दूर होनिश्चित हो गया है।

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