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Friday, March 26, 2010

"मनुष्य और पशु में अंतर" पशुओं में लिव इन रिलेशन को गलत नहीं समझा जाता

पशु  और मनुष्य में एक और  अंतर तो सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी से नजर आ गया या ऐसा  कह सकते हैं कि समझ में आ रहा है  "लिव इन रिलेशन"( बिना शादी के साथ रहना) को  मनुष्य समाज तो गलत  समझता है पर, पशु इसे बुरा नहीं समझते. 
और पशुओं का कोई समाज भी नहीं होता,संस्कार भी नहीं होते,उनके बच्चों को बाप के नाम की जरुरत भी नहीं होती और उनकी  कोई सुप्रीम कोर्ट भी नहीं होती जो समाज द्वारा मान्य नियम या कानून को बिना सोचे- समझे, देखे; अपनी  बात   उन पर थोपता है, महा पुरुषों( या भगवानों)  का भी हवाला देता है, जबकि उन्हीं महापुरुषों की बातों को अपनी अन्य बहसों में नहीं मानता.जबकि कृष्ण जी के साथ राधा नाम का कोई व्यक्तित्व था भी या नहीं अभी ये भी स्पष्ट होना है. ये तो कई सारे अंतर हो गए, लगता है हमें अंतर ढूंढने में अपने ही समाज को देखना होगा.   
  भ्रष्टों को कैसे रास आ सकता  है ऐसा राष्ट्रवाद अवश्य पढ़ें 

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