ताजा प्रविष्ठियां

Saturday, February 27, 2010

अगले बजट की प्रतीक्षा

(कि ये वैदिक कम्युनिज्म होगा, कम्युनिष्टों, माओवादियों, नक्सलवादियों,

मार्क्सवादियों -लेनिनवादियों को अब इस नए... नहीं-नहीं अति प्राचीन वैदिक कम्युनिज्म का अध्ययनकरना चाहिएतो शायद ये भी भारतीय हो जाएँ)।


हम तो पता नहीं पिछले कितने वर्षों से हर बार बजट पेश होते ही अगले बजट की प्रतीक्षा करने लगते हैं। इस निराशा में, कि इस बार भी कुछ विशेष नहीं हुआ, और इस आशा में कि, शायद अगले वर्ष कुछ विशेष हो जाये।

ऐसा ही इस बार भी हो रहा है।

सरकार चाहे किसी की हो, बजट सबका एक जैसा ही रहता है। विरोधी, आलोचना ही करते हैं; पक्ष वाले समर्थन ही करेंगे।

कुछ नहीं ये भारत की साधारण जनता को मूर्ख बनाने का एक हथकंडा भर है।

और इन सबकी (नेताओं-अधिकारीयों-उद्योगपतियों की ) मिलीभगत है।

जो करना है या जो होना है वह निश्चित हो चुका है। इस सबसे जनता भी उदासीन हो चुकी है। शायद, इन "भारत भाग्य विधाताओं" के आगे हार चुकी है।

तभी, ये लोग बिलकुल बेशर्म हो चुके हैं, कि इन्हें कोई (स्वामी रामदेव जैसे) ललकारे

तब भी इनके चेहरे पर झेंप नहीं आती

पर अब योग के योद्धा तैयार हो रहे हैं जो जनता को एक बार फिर से नयी आजादी-नयी व्यवस्था के लिए तैयार करेंगे

और एक नयी बात, कि ये वैदिक कम्युनिज्म होगा, कम्युनिष्टों, माओवादियों, नक्सलवादियों,

मार्क्सवादियों -लेनिनवादियों को अब इस नए... नहीं-नहीं अति प्राचीन वैदिक कम्युनिज्म का अध्ययनकरना चाहिएतो शायद ये भी भारतीय हो जाएँ

No comments:

Post a Comment

हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें