ताजा प्रविष्ठियां

Tuesday, February 16, 2010

जैसे कलावती के भाग सुधरे काश …हमारे भी सुधर जाते


राहुल गाँधी ने कभी कलावती का नाम क्या लेलिया, वह तो मालामाल हो गयी।

एक झटके में तीस लाख, पूरी जिंदगी नौकरी करके, कलम घिस के इतने नहीं मिलते।

केवल ब्याज से ही पच्चीस हजार हर महीने मिलेंगे । धन्य हो गयी अब कुछ करने की जरुरत नहीं रही

काश... राहुल गाँधी रोजाना दस-बीस लोगों के नाम संसद में लेना शुरू कर देते;

तो साल भर में कितनों का भला हो सकता था।

हम तो कहते हैं तीस लाख ना सही पांच लाख ही सही।

कलावती कोई आसमान से

थोड़े ही उतरी है, या हम ने राहुल गाँधी की भेंस को डंडा थोड़े ही मारा है

हमारा तीस लाख का नुकशान क्यों कर रहे हो, भारत के कर्णधारो...?

कुछ हमारा भी तो सोचो।

अबतो रास्ता खुल गया है। हम भी गरीब की श्रेणी में आते हैं इस महँगाई में तो और

भी गरीब हो गए हैं, ऐसे में हम कलावती की तरह जीने का अधिकार पा जाते तो

तुम्हारा भला होता ,तुम्हारी सरकार है तुम खुद सरकार से कम नहीं किसी भी संस्था

या संस्थान को इशारा कर दो बस हमारा भी वारा-न्यारा हो जायेगुण गायेंगे

1 comment:

  1. वाकई में मिले हैं या फिर यह भी कोई पब्लिसिटी स्टंट है. दूसरा यह सब भाग्य की बाते हैं जिसे चाहिये वह राहुल भैया के पास जाये.

    ReplyDelete

हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें