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Saturday, February 6, 2010

सब सठिया गए हैं

हमारा लोकतंत्र सठिया गया,हमारा कानून संविधान सठिया गया हमारे नेता हमारा मीडिया भी सठिया गया , बस ब्लोगर्स नहीं सठियायेयही गनीमत है

एक विक्षिप्त परिवार (ठाकरे) के कारण पूरा देश,देश का कानून, देश का संविधान, देश के नेता और देश का आम जन (मराठी भी) परेशान हैंइन सबसे ज्यादा समाचार जगत (मीडिया) के लोग परेशान हैं, "कि ये मराठी मानुष कहीं दिमागी रूप से ठीक ना हो जाएँ" क्योंकि फिर इनका (मीडिया का) समय कैसे कटेगा कमाई भी कम हो जाएगी

एक बात की तरफ कोई भी ध्यान नहीं दे रहा कि "जो पुलिस कानून व्यवस्था राहुल गाँधी के वहां जाने पर की गयी थी,वो उस समय कहाँ जाती है जब ये विक्षिप्त लोग मुम्बई में लोगों को परेशान कर रहे होते हैं”। इसका मतलब क्या है ?क्या देश का कानून इन पागलों को नहीं रोक सकता ? क्या ये देश के संविधान से ऊपर हैं ? क्या केंद्र सरकार के पास इन्हें खामोश करने का संवैधानिक अधिकार नहीं हैं…?

जो सुरक्षा व्यवस्था राहुल गाँधी के लिए की गयी वह आम आदमी के लिए नहीं हो सकती…?

समाचार जगत के बंद-दिमाग और खुली आँखों वाले लोगों को राहुल गाँधी में कैसे बहादुरी दिखाई दे रही है ? लगता है कांग्रेस से माल-मत्ता ज्यादा मिलता है,वरना इतने पुलिस वालों के बीच में कोई भी बहादुर बन सकता है हाँ; बहादुरी हो सकती है अगर इन बाप- बेटों को पकड़ कर दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद करवा देंअपनी सरकार होने का, और अपने युवराज होने परिचय दें

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