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Thursday, October 22, 2009

कांग्रेसी की चिंता

ये क्या हो रहा है हाई-कमान को, क्यों कांग्रेसियों की जान सांसत में डाली हुयी है...?
बड़ी मुश्किल से
(महात्मा) गाँधी जी की सादगी से छुटकारा मिला था ,चैन से खाने-कमाने के दिन चल रहे थे, आराम करने के दिन आए थे , ये (मां-बेटे) एक और महात्मागिरी पर उतर आए। पुराने कांग्रेसियों ने अपनी जवानी सादगी के दिखावे में काटी अपनी इच्छाएं डर-डर कर नजरें बचाकर पूरी कीं। लेकिन अब ये संतोष था कि उनके बच्चे अपने अरमानों को पूरा करेंगे, खाने-पीने-रहने-पहनने-घूमने के मंहगे शौकों के करने का प्रचलन हो गया था जिससे उन्हें भी तृप्ति मिलती थी , आराम की राजनीती चल रही थी, खुले जंगल में जैसे पशुओं का ग्वाला पेड़ के नीचे आराम से सोया होता है उसे पशुओं के खाने-पानी और बचाव की विशेष चिंता नहीं होती वह अपनी सुविधा के हिसाब से जब मर्जी पशुओं को हांक कर जहाँ मर्जी ले जाता है ,ऐसे ही आम जनता को पशु की तरह समझ कर ये(नेता) बड़ी मस्त जिंदगी काट रहे थे। पर पता नहीं कांग्रेस हाई- कमान को क्या सूझी कि दोनों मां-बेटे अपनी लाईन से उतर गए हैं, न केवल लाईन से उतरे हैं बल्कि पार्टी जनों को लाईन से उतरने का उपदेश दे रहे हैं।
ऐसा कैसे चलेगा ये तो बहुत बड़ी चिंता की बात हो गई है ,
अब तो खतरा यहाँ तक बढ़ गया है कि कहीं राहुल गाँधी अपनी संपत्ति (चल-अचल,जिसका पता ही नहीं है) देश हित में दान देने को न कह दें, तब इनका क्या होगा। और ऐसा हो सकता है क्योंकि अभी तक तो केवल मीडिया ही उनके नाम की माला जप रहा है (क्या पता कुछ दिया हो) जनता विशेष भाव नहीं दे रही तो जनता का भाव पाने के लिए वह जनता(देश) को भी कुछ देदें महात्मा गाँधी के पदचिन्हों पर ही अपने पग धरें। तब तो बहुत बड़ी परेशानी होजायेगी। अन्य पार्टी वाले भी बड़े सावधान और सहम गए हैं।
उन्हें भी ये चिंता सता रही है कि कहीं जनता इन बातों में आ गई तो फ़िर से पचास-साठ साल के लिए कांग्रेस का राज हो जाएगा।

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