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Tuesday, October 13, 2009

नक्सलवाद

जैसे चम्बल के डकैत वैसे ही नक्सलवादी, हमने तो ज्यादातर डकैतों के बारे में सुना है कि इनपर या इनके परिवार पर दबंगों या अधिकारियों द्वारा मिल कर अत्याचार होने से बदला लेने के लिए सबसे आसान तरीका डकैत बन जाना था। जब डकैतों को राजनीतिक संरक्षण मिलने लगा तो ये समस्या बहुत हद तक कम हो गई ।
नक्सलवाद पनपने के पीछे भी यही कारण हैं ,बस,ये लोग एक समाज विरोधी राजनीतिक विचारधारा (माओवादी या उग्र कम्युनिज्म )से अपने साथियों के मन में देश व सरकार और उसके कर्मचारियों के प्रति विरोधी भावना भर देते हैं , क्योंकि सरकार के कर्मचारी आमतौर पर साधारण जनता के प्रति सही व्यवहार नहीं करते। दूसरा, सरकार के नेता- अधिकारी- कर्मचारी का गठजोड़ और इनको पोषने वाले कुछ बेईमान उद्योगपति और ठेकेदार, मिलीभगत से मालामाल होते जा रहे हैं जनता को खाने के लिए सूखी रोटी भी नहीं मिल पा रही है ; तो थक-हार कर उसने एक न एक दिन विरोधी होना ही है।
नक्सलवाद समाप्त हो सकता है
अगर हमारी राजनीतिक पार्टियाँ इनके नेताओं को अपना सदस्य बना ले और चुनाव लड़ने का अवसर दे ,दूसरा, कुछ कठिन उपाय है कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी को तुंरत ख़त्म करे, तीसरा कुछ और कठिन उपाय है कि गरीबी अमीरी के बीच की खाई को कम किया जाए जिसके लिए, ऐसे अमीरों से जो बिना कुछ किए कराये ही करोड़ों अरबों के मालिक बनगए हैं उनसे आवश्यकता से अधिक धन सरकार ले ले और बिना भ्रष्टाचार के गरीबों के हित में लगाये। संपन्न लोगों को भी अपनी सम्पन्नता का दिखावा नहीं करना चाहिए क्योंकि ये भी आग में घी का काम करता है । वरना ये समस्या यूँ ही बढती रहेगी ।

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