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Saturday, August 15, 2009

लिखा पर कम दिखा

आज अपनी कुछ पुरानी पोस्ट देख रहा था तो देखा कि कुछ पोस्ट ऐसी लग रही थी, जैसे उनपर किसी की नजर नहीं पड़ी , वैसे मैं यह सोच कर नहीं लिखता कि मुझे टिप्पणी ज्यादा मिलें ,लेकिन ये मन जरुर करता है कि मेरे लिखे हुए पर ज्यादा से ज्यादा लोगों की नजर पड़े । जो पोस्ट मुझे ऐसी लगती हैं कि उन्हें कम लोगों ने देखा हैं तो सोचा , उन्हें मैं फ़िर से दिखा देता हूँ ।
"शाबास मीडिया "
इतनी जिम्मेदार, जागरूक,जान-जोखिम में डालने वाली पत्रकारिता (न्यूज चैनल्स)और पत्रकार केवल भारत में ही हो सकते हैं। निर्णयात्मकता के साथ-साथ कहानी बनाने और प्रस्तुतीकरण में भी बेजोड़। बारीक़ से बारीक़ नजर ख़बरोंकी तह तक ही नही बल्की जो ख़बर न भी हो उसे भी खबर बना देती है। नक्शो द्वारा विस्तृत वर्णन;समझाने का ढंग ऐसा कि इसका लाभ हमारी सरकार के साथ-साथ आतंकवादी भी उठा सकते हैं। हमारी सुरक्षा कहाँ कमजोर या चाक- चौबंद है या कौन सेलिब्रिटी बिना सुरक्षा गार्ड के है सब पर इनकी नजर रहती है। ये सब (शायद) अभी तक निस्वार्थ भावः से ही करते होंगे। इन्हें किसी की नजर न लगे या इन पर किसी (भारत-सरकारकी) नजर लगे।क्या कहूँ ?
जिस समाचार से विवाद पैदा न हो या तो उसे दिखाओ ही नहीं या उस पर विवाद पैदा कर दो ,चाहे सभ्यता-संस्कारों पर हो या किसी शिक्षण-संस्थान द्वारा लागु ड्रेसकोड हो ,ऐसी विशेषता वाले पत्रकारों को ही ये चैनलों में सामने खड़ा करते हैं । विवाद पैदा करने की योग्यता अनिवार्य है। छोटी से छोटी बात पर भी विवाद पैदा करना ही जैसे इन्हें सिखाया जाता हो चाहे क्रिकेट हो फील्डिंग हो मैच में पकड़ा कैच हो या छुटा कैच हो फ़िल्म हो या राजनीती हो ,कुछ भी हो ये उसे समाचार नहीं रहने देते विवाद बना देते हैं । धन्य है भारतीय न्यूज चैनलों को ।

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