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Sunday, June 14, 2009

भाजपा(इ) भड़के(नेता)

"ज्यादा बिल्लियों में चूहे नहीं मरते"
जी ,हाँ ; ये कहावत भा.जा.पा. पर बिल्कुल फिट बैठती है।
इस देश में लोकतान्त्रिक व्यवस्था नाकाम होती जा रही है।
लोकतंत्र की तर्ज पर राजतंत्र सफल होता जा रहा है ,
ऐसे में भाजपा को भी अपना ढांचा बदलना चाहिए ।
हमारे यहाँ की आम जनता की मानसिकता राजाओं के प्रति
सर झुकाने की रही है। आर.एस.एस. को भी चाहिए कि कोई
ऐसा नेतृत्व पैदा करे जो माई-बाप बन कर पार्टी को
संभाल सके,और बीबी-बच्चों वाला हो ताकि वंश परम्परा
चल सके ।
वरना कहानी ख़त्म है। लगभग सभी पार्टियों
में यही हो रहा है,कम्युनिष्टों को भी यही करना पड़ेगा
बसपा का क्या होगा पता नहीं । राजानीती करनी है तो शायद इसके
आलावा कोई रास्ता नहीं।
दरअसल कांग्रेस की इस चाल को आजादी के
बाद ही हमारे विपक्ष के नेता नहीं समझ सके या ख़ुद भी
राजवंश के प्रति नतमस्तक हो गए, अब भुगतना पड़ रहा है।

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