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Tuesday, March 24, 2009

थाली के बैंगन

या बेपेंदी के लोटे”
चुनाव से पहले लुढ़क-पुढक रहे हैं,
अपनी "दूरदृष्टि" से चुनाव बाद अपना फायदा देख रहे हैं।
चुनाव बाद फायदा देख कर अटक जायेंगे,
ऐसे ही इनके वोटर केवल जाति के आधार पर
वोट देकर इनको भूल जायेंगे।
फ़िर, पॉँच साल तक ये,और इनके स्वामिभक्त चमचे
मौज उडाएंगे।
अगले चुनाव में फ़िर अपने वोटर के पास जायेंगे,
अगर वोटर मुहं न लगाये तो शराब पिलायेंगे,
कुछ रुपये उनकी जेब में और साडी घर भिजवाएंगे
बस, वोटर को अपने भगवान इन्हीं में नजर आयेंगे,
पिछले कई सालों से ये अपनी दाल यूँही गला रहे हैं,
अपनी-अपनी जातियों के दम पर ये, पूरे देश को मूर्ख
बना रहे हैं
न अपनी जाति वालों का, न देश का, केवल अपना भला कर पाएंगे,
वास्तव में, विचारधारा केवल दो हैं देश में, देश की जनता में,
भा.ज.पा.और कांग्रेस ।
चुनाव से पहले ये, “थाली के बैंगन” उन्हीं को गरियायेंगे,
चुनाव बाद उन्हीं से हाथ मिलायेंगे,स्वार्थ इनका,पर ये देश का
भला बताएँगे,मौका परस्ती की ऐसी मिसाल क्या आप कहीं और पाएंगे
,
दोस्तों, मैं तो चाहता हूँ, पर भा.ज.पा.-कांग्रेस वाले क्या चाहेंगे ?
कि इन बेपेंदी के लोटों के खिलाफ और देश हित में ये दोनों एक हो पाएंगे।

एक राष्ट्रीय सरकार बनायेंगे ।

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