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Saturday, February 7, 2009

वैलेंटाइन डे

समर्थन - विरोध
रावण की बहन सूर्पणखा भी वैलेंटाइन (डे नहीं) "डेली"
मनाती थी ।
एक दिन राम-लक्ष्मण के पास चली गई (वैलेंटाइन मानाने)
लक्ष्मण ने विरोध कर दिया.....

नाक काट दी। आज भी बहुत से रावण हैं जो अपनी बहन बेटियों को सूर्पणखा की तरह व्यवहार करने से खुश रहते हैं ,सरकार में भी इनके समर्थक होते हैं जो इस रक्ष: संस्कृति को बढ़ावा देते हैं , टी.वी.चैनल वालों में भी इसको बढावा देने की होड़ मची है क्योंकि ये केवल पैसा कमाना चाहते हैं इसलिए दोनों को उकसाते हैं "चोर को कहें चोरी कर के दिखा, साहूकार को कहें रोक सके तो रोक"। "इनके दोनों हाथों में लड्डू" ।

5 comments:

  1. बहुत बढ़िया, मैंने आपके पोस्ट को अपने ब्लॉग पोस्ट से लिंक कर दिया है

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  2. रावण और उसके खानदानियों को लगता था कि केवल वे ही सभ्य हैं
    वैसे ही आज के इन कल्चर्ड लोगों को लगता है ये इनकी बहन बेटियाँ भी सूर्पनखा ही बनना चाहती हैं आप ने बिल्कुल ठीक लिखा है धन्यवाद

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  3. मुझे यह समझ नहीं आता है कि वैलेंटाइन डे का क्या अर्थ आपने समझा है ? सूर्पनखा और आज की महिला में क्या कोई अन्तर नहीं है ? वैलेंटाइन डे के नाम पर अश्लीनता नहीं होनी चाहिए, यह तो ठीक है पर हर व्यक्ति को अपने ढंग से जीने का हक़ है और इसे कोई नहीं छीन सकता है. अजंता और एलोरा की गुफाएँ भी तो भारतीय संस्कृति का ही हिस्सा हैं. क्यों नहीं उन सब को तोड़ देते. आपको कल्चर की परिभाषा बताने का कोई अधिकार नहीं है. जिनका आप विरोध कर रहे हैं, वे अपना भला बुरा जानते हैं.

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  4. चोट करी वैलेन्टाइन पर, सुपर्णखा सा पात्र चुना।
    लेकिन अपने नेता जी ने ,नही पढ़ा और नही सुना।।

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