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Tuesday, December 9, 2008

ईद

नारायण राणे
सुंदर सपना टूट गया
इसलिए बिल्ला खिसिया गया, खम्भा नोच रहा है।


"ईद" (पाकिस्तान की)
बकरे नही “बकरों”(दहशतगर्द)की माँ कब तक खैर मनाएगी,
तुम मनाओ न मनाओ
दुनिया तुमसे ईद मनवाएगी(पाले हुए बकरे कुर्बान कराने ही पड़ेंगे)।


"नेता"
नेता कैसा भी हो “धरती” पर रहे “दलालों” से न घिरे तो जीतेगा। पार्टी और नेताओं के नाम पर
वोट बार-बार नहीं मिलता।

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